मैंने यह कविता स्यवं लिखी है।
दादा हमारे मथुरा से,
दादी जी हैं सागर से ।
चाचा पापा दिल्ली से,
और चाची बंगाल से।
नाना नानी राजस्थानी ,
और मामी कुमायूं से।
फिर भी एक परिवार में जुड़ के,
अपनी अपनी पहचान रख के।
सब हैं मिलजुल के रहते,
सुख दुःख मिल बाँट के सहते।
ऐसे अनोखा मेरा परिवार,
मेरी पहचान, मेरा अभिमान,
मेरे परिवार पर मुझको मान।
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